What Is Share Market In Hindi?

दोस्तों, आज मैं साधारण Hindi भाषा में Share Market के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां आपसे  शेयर करने जा रहा हूं जो आपको अवश्य पसंद आएंगी।

अगर आप नए हैं और आपको Share Market की बिल्कुल भी  जानकारी नहीं है  तो भी यह आर्टिकल आपको पसंद आएगा और आपको ऐसी काम की जानकारी रखनी भी चाहिए।

share market in hindi

शेयर मार्केट की दुनिया में वारेन बफेट का नाम कौन नहीं जानता।

इनका नाम दुनिया की सबसे अमीर व्यक्तियों में गिना जाता है।

इन्होंने अपना अधिकांश पैसा शेयर मार्केट में Investment करके कमाया है।

लेकिन सवाल है कि इन्होंने कैसे कमाया? 

पहले समझिए, Investment क्या है? 

Investment (इन्वेस्टमेंट) को हिंदी में निवेश कहते हैं। 

Investment कई प्रकार की होती है जैसे-

अगर आप पैसा FD में निवेश करते हैं तो आपको 7 % मिल जाता है, और  Saving Account रखते हैं तो 4% मिल जाता है और Current Account में तो कुछ मिलता ही नहीं है।

लेकिन Share Market और Mutual Fund में निवेश करके लोग 15% से 18% आसानी से कमा पा रहे हैं।

आप शेयर मार्केट में 2 तरीके से इन्वेस्ट कर सकते हैं।

पहला यह है कि शेयर मार्केट में आप म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट कर सकते हैं जो कि Indirect तरीका है।

दूसरा तरीका यह है कि आप कंपनी के शेयर खुद खरीद कर रख सकते हैं जिसे डायरेक्ट कहते हैं।

मैं यहां आपसे दूसरे वाले तरीके के बारे में बात करने वाला हूं मतलब आप स्वयं कैसे शेयर मार्केट में इन्वेस्ट कर सकते हैं।

उससे पहले आइए समझते हैं कि शेयर मार्केट आखिर होता क्या है।

What is Share Market?
शेयर मार्केट क्या होता है?

शेयर मार्केट को Stock Market और Equity Market के नाम से भी जानते हैं। Share Market  को Equity Market कहें या स्टॉक मार्केट,  इन तीनों का मतलब एक ही है।

Share Market  वह स्थान या बिल्डिंग होती है जहां आप किसी कंपनी के शेयर खरीद सकते हैं  या बेच सकते हैं।

लेकिन इंटरनेट के आने से यह मार्केट Physical से Digital हो चुका है।

अब शेयर खरीदने और बेचने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करना होता है।

शेयर खरीदने का क्या मतलब है?

शेयर खरीदने का मतलब होता है कि आप कंपनी में  कुछ प्रतिशत Ownership खरीद रहे हैं यानी आप कुछ प्रतिशत तक कंपनी के मालिक बन रहे रहे हैं।

जब कंपनी को फायदा (Profit) होगा तो उसका कुछ प्रतिशत आपको भी मिलेगा।

अगर कंपनी को Loss  होगा तो  उसका कुछ प्रतिशत आपको भी सहना पड़ेगा।

शेयर मार्केट को और बेहतर ढंग से समझने के लिए आप इसकी तुलना सब्जी मंडी से कर सकते हैं।

चलिए लिए सब्जी मंडी को एग्जांपल के रूप में लेकर समझते हैं कि  यह शेयर मार्केट कैसे काम करता है।

Share Market  सब्जी मंडी की तरह काम करता है, आप सब्जी मंडी जाते हैं, सब्जी खरीदते हैं ।

वहां आप  Seller से आलू का भाव पूछते हैं,

वह कहता है 30 रुपए किलो।

आप कहते हैं नहीं-नहीं 25 रुपए किलो ।

आप कहते हैं नहीं-नहीं 25 रुपए किलो तो वह कहता है 30 रुपए किलो।

आप कहते हैं 25 से अधिक नहीं दूंगा,

चल तेरी ना मेरी 27 रुपए किलो लगा ले।

Negotiation  हो रहा है ।

Demand & Supply चलती है, इसके अंदर ।

किसी सब्जी का बहुत ज्यादा Demand होगा तो उसका रेट बढ़ जाएगा क्योंकि Supply नहीं आ रही है।

लेकिन कोई ऐसी सब्जी है जिसकी Demand बहुत कम है और Supply बहुत अधिक आ रही है तो उसका रेट कम हो जाएगा।

शेयर मार्केट के अंदर भी ऐसा ही होता है।

शेयर मार्केट की सब्जी मंडी क्या है?   Stock Exchange

भारत में दो बड़े स्टॉक एक्सचेंज हैं जिनका नाम है NSE और BSE ।

NSE का Full Name  है  National Stock Exchange और BSE का Bombay Stock Exchange 

यहीं पर जाकर आप शेयर खरीदते और बेचते हैं।

आइए अब जानते हैं आप NSE और BSE पर कैसे शेयर खरीद और बेच सकते हैं।

How to Buy & Sell Share?
शेयर कैसे खरीदें और बेचें?

इंटरनेट के आने से पहले शेर खरीदने या बेचने के लिए स्टॉक एक्सचेंज की बिल्डिंग में जाना  पढ़ता था।

लेकिन इंटरनेट के आने के बाद आपको Share खरीदने और बेचने के लिए सिर्फ तीन चीजों की जरूरत है:

  1. Bank Account
  2. Trading Account
  3. Demat Account

बैंक अकाउंट इसलिए कि आपको Share खरीदने के लिए पैसे की जरूरत होगी।

Trading Account इसलिए कि आप किसी कंपनी के शेयर में ट्रेड कर सकें मतलब शेयर खरीद और बेच सकें।

Demat Account होता है कि आप जो शेयर खरीद रहे हैं उसे स्टोर करने के लिए क्योंकि अब Share को फिजिकल फॉर्म में Store नहीं किया जाता।

हम और आप जैसे इन्वेस्टर्स को रिटेल इन्वेस्टर्स बोलते हैं मतलब आम लोग जो स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करना चाहते हैं।

Retail Investor को हमेशा एक ब्रोकर की जरूरत होती है जिसे स्टॉक ब्रोकर या शेयर ब्रोकर कहते हैं।

शेयर ब्रोकर शेयर खरीदने वाले को शेयर बेचने वाले से मिलाता है।

शेयर ब्रोकर आपका बैंक भी हो सकता है  या किसी कंपनी का कोई ऐप या कोई वेबसाइट भी हो सकती है।

जब आप किसी ब्रोकर के जरिए शेयर मार्केट में पैसा लगाते हैं तो यह ब्रोकर अपना कुछ कमीशन रख लेता है जिसे कहते हैं Brokerage Rate (ब्रोकरेज रेट) ।

अधिकांश बैंक लगभग 1% ब्रोकरेज चार्ज करते हैं जो कि बहुत ज्यादा है ।

अगर आप सही ढंग से ढूंढ लेंगे तो ऐसे प्लेटफार्म मिल जाएंगे जो ब्रोकरेज रेट बहुत कम चार्ज करते हैं।

अगर आपके पास पहले से बैंक अकाउंट है तो आपको Share खरीदने और बेचने के लिए किसी शेयर ब्रोकर कंपनी के यहां Trading Account और Demat Account खोलना होगा और अपने ट्रेडिंग अकाउंट को बैंक अकाउंट से लिंक कराना होगा।

अधिकांश बैंक शेयर ब्रोकर का भी काम करते हैं।

आजकल ज्यादातर बैंक Three-In-One अकाउंट ऑफर करने लग गए हैं मतलब यह तीनों अकाउंट आपके बैंक अकाउंट के अंदर ही शामिल होते है।

अधिकांश शेयर ब्रोकर कंपनियों का अपना Trading App होता है जिसका इस्तेमाल आप  ऑनलाइन Share  खरीदने और बेचने के लिए  कर सकते हैं।

इसके अलावा यह कंपनियां रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर दे दो देती हैं जिस पर आप कॉल करके भी शेयर खरीद और  बेच सकते हैं।

Why do people fail in Share Market?
शेयर मार्केट में लोग असफल क्यों होते हैं?

जहां भारत के अंदर केवल 4% लोग ही शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करते हैं वहीं अमेरिका में लगभग 50 % लोग शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करते हैं।

कारण क्या है?

पहला कारण यह है भारत के अंदर लोगों में Risk लेने की ज्यादा क्षमता नहीं है।

तथा दूसरा, भारत में लोगों को शेयर मार्केट की नॉलेज नहीं है।

और तीसरा, भारत में शेयर मार्केट पर कोई Dedicated Course उपलब्ध नहीं है।

इसके अलावा भारत के शेयर मार्केट में कई सारे Fraud & Scandals हुए हैं जिसकी वजह से लोगों को Loss भी उठाना पड़ा है।

हर्षद मेहता  Fraud हुआ है,  केतन पारेख Fraud हुआ है। 

इसकी वजह से लोग इस मार्केट में निवेश करने से डरते हैं।

इन सबके बावजूद भारत में ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने शेयर मार्केट से काफी पैसा कमाया है।

उनमें से एक नाम आता है राकेश झुनझुनवाला का इनको भारत का वारेन बफेट कहा जाता है।

इनके अलावा रामदेव अग्रवाल, विजय केडिया आदि कई लोगों ने पैसा कमाया है।

यहां शेयर मार्केट में Retail Investor (रिटेल इन्वेस्टर) के फेल होने का एक बड़ा कारण है कि Retail Investor शेयर खरीदने के लिए Tip मांगते हैं। यह न्यूज़ से, एडवाइजर से, इंटरनेट से, दोस्तों से Tip लेते हैं।  

आपको Tip चाहिए तो  रेस्टोरेंट्स में जाएं क्योंकि शेयर मार्केट में कोई Tip नहीं चलती है।

आप न्यूज़ को Track मत कीजिए शेयर मार्केट  के Trend को Track कीजिए।

शेयर मार्केट को ट्रैक करने का एक बेहतरीन तरीका है  कि आप Nifty का Price/Earning Ratio  चेक करें। 

आपको Nifty का Price/Earning Ratio समझाने से पहले आपको बता दूं कि स्टॉक एक्सचेंज क्या होता है और निफ्टी क्या होता है। 

What is Stock Exchange?
स्टॉक एक्सचेंज क्या है?

NSE & BSE

स्टॉक एक्सचेंज वह जगह या बिल्डिंग है जहां पर लोग कंपनी के शेयर खरीदे और बेचते हैं।

लेकिन इंटरनेट आने से इंटरनेट के आने से शेयर खरीदने और बेचने की प्रक्रिया ऑनलाइन हो गई है।

अब कोई भी व्यक्ति दुनिया के किसी भी कोने से शेयर खरीद और बेच सकता है।

इंडिया में दो सबसे पॉपुलर स्टॉक एक्सचेंज है।

एक है मुंबई स्टॉक एक्सचेंज जिसे शॉर्ट में बीएससी कहते हैं इसमें करीब-करीब 5400 कंपनियां रजिस्टर्ड है।

 एक है National Stock Exchange (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) जिसे शार्ट में एनएससी भी कहते हैं इसमें करीब-करीब 1700 कंपनियां रजिस्टर्ड है ।

ब इतनी सारी कंपनी एक ही स्टॉक एक्सचेंज में रजिस्टर्ड है।

अगर आपको Overall देखना है इन सभी कंपनियों के शेयर प्राइस सुपर जा रहे हैं या नीचे जा रहे हैं तो आप इसे कैसे देख सकते हैं।

इसी देखने के लिए SENSEX NIFTY  बनाया गया है।

What is NIFTY?  
NIFTY क्या है?

nifty 50

NIFTY का फुल फॉर्म है – National + Fifty 

NIFTY नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के अंतर्गत आता है।  NIFTY हमारे देश की टॉप 50 कंपनियों का एवरेज ट्रेंड दिखाता है कि उनके Share Price ऊपर जा रहे हैं या नीचे जा रहे हैं।

क्योंकि निफ्टी में विभिन्न सेक्टर की टॉप लीडिंग कंपनियों का समावेश होता है इसलिए इससे यह भी पता चलता है कि उस सेक्टर की बाकी कंपनियां कैसा परफॉर्म कर रही है।

NIFTY का जो नंबर है वह आज 11500 के करीब पहुंच चुका है, इस नंबर की खुद में कोई ज्यादा वैल्यू नहीं है  जब तक आप  इस नंबर को Past के साथ कंपेयर नहीं करते।

जब आप इस नंबर को पास्ट के साथ कंपेयर करेंगे तो आपको इस नंबर की वैल्यू समझ में आएगी।

क्योंकि यह नंबर थोड़ा Randomly डिसाइड किया गया है।

शुरू में डिसाइड कर लिया गया कि इन 50 कंपनियों का शेयर वैल्यू 1000है।

धीरे-धीरे निफ़्टी  बढ़कर आज 11500 के करीब पहुंच गया है पिछले 25 वर्षों में।

जो यह दिखाता है कि पिछले 25 वर्षों में इन 50 कंपनियों के शेयर प्राइस कितने ऊपर गए हैं।

NIFTY PE Ratio

निफ्टी का एक Price/Earning Ratio होता है जिसे  शार्ट में NIFTY PE भी कहते हैं ,

साधारण भाषा में कहें तो PE का मतलब होता है,

कितना रुपया लगाऊंगा तो मुझे कितना रुपया मिलेगा।

pe ratio hindi

Price/Earning Ratio  निफ्टी का भी होता है मतलब सभी 50 कंपनियों का मिलाकर या किसी एक कंपनी का भी हो सकता है जैसे TCS का हो सकता है, रिलायंस का हो सकता है, Sun Pharma का हो सकता है।

शेयर मार्केट में कब इन्वेस्ट करना चाहिए और कब इन्वेस्ट नहीं करना चाहिए इस संबंध में बहुत इंपॉर्टेंट है।

शेयर में इन्वेस्टमेंट करते समय प्राइस अर्निंग रेशों जरूर चेक करना चाहिए।

आप किसी कंपनी का Price/Earning Ratio चेक करने से पहले पूरी Share Market का  Price/Earning Ratio चेक करें।। 

अगर आप निफ्टी का पिछले 20- 25 सालों का PE की देखें तो आपको पता चलेगा कि  यह सबसे नीचे लगभग 10 पर रहता है और सबसे ऊपर लगभग 30 पर रहता है।

मतलब यह सबसे लोएस्ट लगभग 10 तक जाता है और सबसे हाईएस्ट लगभग 30 तक जाता है।

लेकिन ऐसा भी नहीं है कि 10 की नीचे या 30 के ऊपर नहीं जा सकता जा सकता है लेकिन अक्सर ऐसा होता नहीं है।

अगर निफ्टी का PE 10, 11, 12, 13 है तो ज्यादा पैसा लगा लीजिए क्योंकि इस समय आपको कम पैसे में ज्यादा रिटर्न मिलने वाला है।

लेकिन अगर निफ्टी का PE 30 के आसपास है तो पैसा बहुत कम लगाइए या मत लगाइए।

अब Price/earning Ratio को थोड़ा फार्मूला से समझिए।

अगर मार्केट का PE मतलब NIFTY का जो PE  है वह 10 है तो आपको ₹1 कमाने के लिए ₹10 लगाना पड़ेगा।

लेकिन निफ्टी का PE अगर 30  है तो ₹1 कमाने के लिए आपको ₹30 लगाना पड़ेगा।

तो अब ₹1 कमाने के लिए 30 लगाना चाहिए या ₹10 यह आप खुद ही बताएं।

अगर आप ₹10 का लगाकर ₹1 कमाएंगे  तो 10% की कमाई होगी और अगर ₹30 लगाकर ₹1 कमाएंगे तो 3.33% की कमाई होगी।

इसलिए अगर निफ्टी का PE 30 पर है तो बेहतर होगा कि आप पैसा FD में रखें या कैश में रखें ।

अब मैं आपको उस समय की बात बताता हूं जब शेयर मार्केट में घोर मंदी आई थी या घोर तेजी आई थी और उस समय निफ्टी का PE क्या था।

इससे आपको और ज्यादा समझ में आएगा।

1999 में निफ्टी का PE 12 चल रहा था और उस समय 1 साल के भीतर 105% का रिटर्न आया।

2003 में निफ्टी का PE 11 चल रहा था और उस समय 1 साल के भीतर 116% का रिटर्न आया।

अक्टूबर 2008 में मार्केट क्रैश के बाद निफ्टी का PE 10 पर चला गया,  उसके बाद जिसने भी पैसा लगाया उसने 1 साल के भीतर 130% रिटर्न कमाया।

यह तो बात हो गई उस समय की जब मार्केट घोर मंदी आई थी

और बात करते हैं जब मार्केट में तेजी आई थी और निफ्टी का PE काफी ऊपर था उस समय लोगों को कितना नुकसान हुआ।

फरवरी 2000 में निफ्टी का PE 28 पर पहुंच गयाऔर उस समय 1 साल के भीतर -53% का रिटर्न आया।

मतलब जो पैसा लगाया उसका आधा डूब गया।

2008 में मार्केट क्रैश होने से पहले निफ्टी का PE 28 था।

अभी मार्केट क्रैश नहीं हुई थी लेकिन अंदेशा थाऔर लोग पैसा लगाया जा रहे थे और इस समय लोगों को इन्वेस्ट करने की वजह डाइवस्ट करना चाहिए था।

लोगों सोचते हैं कि इस बार कुछ अलग होगा लेकिन ऐसा कभी होता नहीं है और हर बार वही होता है।

और जब मार्केट क्रैश हुआ तो लोगों को 64 प्रतिशत की हानि हुई मतलब जिसने भी पैसा लगाया उसका आधे से भी ज्यादा पैसा डूब गया।

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