Essay on Water Pollution In Hindi

Last Updated on September 15, 2020 by Skillslelo

जल न केवल पृथ्वी के मूल तत्वों में से एक है अपितु पृथ्वी के निर्माण पदार्थों में से एक है। जल के बिना इस पृथ्वी पर जीवन का उद्भव होना संभव नहीं था।

इसलिए कहा जाता है कि जल ही जीवन है।

जल के महत्व को व्यक्त करते हुए एक कवि ने कहा है।

‘रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून
पानी गए ना उबरे मोती मानस चून’

जिस जल के बिना संसार की कल्पना भी नहीं की जा सकती, जो पानी सभी प्रकार के प्राणियों के लिए हवा के बाद दूसरा अनिवार्य पदार्थ है।

उसी जल पर स्वयं मनुष्य के त्रुटिपूर्ण कार्यकलापों के कारण संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

यह संकट आया है जल प्रदूषण  से। 

What is Water Pollution?
(जल प्रदूषण क्या है)

essay on water pollution in hindi

सामान्य शब्दों में, जल में किसी भी प्रकार की अवांछित पदार्थों के मिल जाने से उसके रासायनिक एवं भौतिक गुणों में कमी आना ही जल प्रदूषण है।

अधिक व्यापक अर्थ में कहा जाए तो जल प्रदूषण तब होता है जबकि – 

  • जल में संदूषण हो जाए अथवा जल की भौतिक, रासायनिक या जैविक विशेषताओं में ऐसा अवांछनीय परिवर्तन हो जाए अथवा 
  • जल में कोई मल या व्यवसाय अपशिष्ट मिल जाए अथवा जल में किसी ऐसे तरल गैसीय ठोस पदार्थ मिल जाए जो कि मनुष्य, पौधों, जल चारों, पशु पक्षियों या अन्य किसी उपयोग के लिए हानिकारक है अथवा हो सकते हैं।

Reasons of Water Pollution
(जल प्रदूषण के कारण)

जल प्रदूषण के कारण ही जल संसाधन की कमी नहीं हुई है बल्कि जल संसाधन के अधिकाधिक उपयोग से भी पानी में कमी आई है।

जल की उपलब्धता में निरंतर कमी हो रही है पिछले दो-तीन दशकों में ही पानी की उपलब्धता में लगभग 30% की कमी आने का अनुमान लगाया गया है। 

बढ़ती हुई जनसंख्या तथा उद्योगों की संख्या को देखकर यह कहा जा सकता है कि जल संसाधन का प्रदूषण एवं क्षरण बहुत तेजी तेज गति से होता प्रतीत हो रहा है। 

जल प्रदूषण के कारण व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक, औद्योगिक और राजनीतिक होने के साथ-साथ स्थानीय क्षेत्रीय, राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय तक हो सकते हैं

अनेक ऐसी आदतें हैं जिन से विभिन्न स्तरों पर जल प्रदूषण होता है। जैसे

  • जल स्रोतों के समीप ही खुले में शौच करना कपड़े धोना
  • हर तरह की गंदगी पानी में बहाना
  • अनावश्यक रूप से रासायनिक पदार्थों की क्लास को उत्पीड़ित प्रेरकों का कृषि और बागवानी में प्रयोग करना

घरेलू मल, औद्योगिक अपशिष्ट, रासायनिक पदार्थों, कीटनाशकों एवं कृषि रसायनों के जल स्रोतों में मिल जाने से जल प्रदूषण हो रहा है ।

इसी प्रकार औद्योगिक प्रक्रिया में प्रयुक्त जल में विभिन्न चिकनाई युक्त पदार्थ एवं धातु के कण मिल जाते हैं। 

रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशक भी जल में मिल जाते हैं।

 इसके अतिरिक्त बिजली के तारों, ट्रांसफार्मर में विषाक्त पदार्थ (जिसे Poly Clorinated Bipheny or PCB) भी कहते हैं) का उपयोग होता है।

यह पदार्थ जल में आसानी से खुल जाता है और जल प्रदूषण कर देता है।

Effects of Water Pollution
(जल प्रदूषण के प्रभाव)

जल प्रदूषण के कारण जलचर की हानि तो होती ही है,साथ ही जैव-विविधता पर भी कुप्रभाव पड़ता है।

मानव को कई रोग लग जाते हैं।

इतना ही नहीं जल संसाधन के क्षरण से विश्व में करोड़ों लोग ऐसे हैं जिन्हें पीने का शुद्ध पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।

अनुमान लगाया गया है कि दूषित जल के सेवन से प्रतिवर्ष लगभग 25000 से 30,000 व्यस्क व्यक्ति मर जाते हैं जबकि लगभग एक करोड़ बच्चों की जीवन लीला भी समाप्त हो जाती है।

Water Pollution in India
भारत में जल प्रदूषण

भारत में जल प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण का अनुपचारित सीवेज (Untreated Sewage) है। भारत में अधिकांश नदियाँ, झीलें और सतही जल उद्योगों, अनुपचारित मल और ठोस कचरे के कारण प्रदूषित हैं।

Measures to Prevent Water Pollution
(जल प्रदूषण रोकने के उपाय)

भारत में  जल प्रदूषण एवं जल क्षरण रोकने के उपाय :

  1. देशभर में जल प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम 1974 को पूर्ण अनुशासित और प्रभावी ढंग से लागू किया जाए
  2. जल को प्रदूषित होने से रोकने के लिए जन शिक्षा जनचेतना एवं जनता की सहभागिता अनिवार्य है
  3. नगरों के मलिन जल एवं सीवर के पानी को नदियों में प्रवाहित नहीं करने देना चाहिए  
  4. जल स्रोतों के पास इसी तरह की गंदगी नहीं फैलाने चाहिए
  5. सुलभ शौचालय तकनीक को व्यापक रूप से प्रचारित एवं सामाजिक रूप से स्वीकार किया जाए इससे ना केवल जल प्रदूषित होने से बचा जा सकेगा बल्कि उपयोगी कंपोस्ट की उपलब्धता व मिट्टी की उपजाऊ शक्ति भी बढ़ेगी
  6. विभिन्न प्रकार के प्रदूषण और समुद्री जल में मिलने से रोका ना रोका जाना चाहिए
  7. समुद्र के जल में परमाणु परीक्षण नहीं किए जाने चाहिए
  8. मृत और जले हुए जिओ की प्राणियों की राख नदियों में नहीं फेंकना चाहिए
  9. तालाबों, झीलों आदि में शैवाल जैसे पौधे उगाए जाने चाहिए ताकि जल को शुद्ध रखा जा सके

Rain Water Harvesting
(वर्षा जल संचयन)

विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले सालों में जल की कमी एक बड़ा संकट बन जाएगी।

इसलिए मानव उपयोग के लिए जल प्रबंधन के स्थायी तरीकों पर बात करना बेहद ज़रूरी है और इनमें से एक तरीका है वर्षा जल संचयन।

मानव उपयोग के लिए वर्षा जल संग्रहण और भंडारण एक प्रक्रिया है और स्थायी जल प्रबंधन की तरफ एक महत्वपूर्ण कदम भी।

वर्षा जल संचयन की प्रक्रिया में छत पर जमा होने वाले वर्षा के जल को धरातल यानि ज़मीन पर लाया जाता है

और फिर उसे टैंकों, तालाबों, कुओं, बोरवेल, जलाशय आदि में इकठ्ठा किया जाता है। वर्षा जल को इकठ्ठा करने के लिए रिचार्ज गड्ढों का निर्माण किया जाता है।

गड्ढों को कंकर, बजरी, मोटे रेत से भरा जाता है और वे अशुद्धियों के लिए एक फिल्टर की तरह काम करते हैं।

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