Last Updated on September 21, 2020 by Skillslelo
दोस्तों, वर्तमान समय में वायु प्रदूषण (Air Pollution) एक गंभीर समस्या है और यह निबंध (Essay) इसी समस्या पर आधारित है। वायु प्रदूषण (Air Pollution) एक चर्चित विषय है।
कई परीक्षाओं में वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on Air Pollution) लिखने के लिए पूछा जाता है इसलिए यह निबंध छात्रों के लिए भी उपयोगी है।
What is Air Pollution?
(वायु प्रदूषण क्या है?)
वायु विभिन्न प्रकार की गैसों का मिश्रण है। जब वह मिश्रण प्रामापित स्तर का होता है तो शुद्ध वायु कहलाती है।
शुद्ध वायु में 21% ऑक्सीजन 78% नाइट्रोजन 0.03% कार्बन डाइऑक्साइड तथा लगभग 1% अन्य गैस होती हैं।
वायु की इस संरचना में जब परिवर्तन होता है तब वायु प्रदूषण की स्थिति पैदा होती है।
दूसरे शब्दों में ,वायु में अन्य जहरीली गैसों के मिलने के कारण ही वायु प्रदूषण होता है।
व्यापक अर्थ में, वायु प्रदूषण से आशय वायुमंडल में किसी ऐसे तरल या गैसीय पदार्थ के की उपस्थिति से है जो मनुष्य, अन्य प्राणियों, वनस्पति या संपत्ति या पर्यावरण के लिए हानिकारक है या हो सकता है।
वायुमंडल में विद्यमान हानिकारक पदार्थों की स्थिति ही वायु प्रदूषण (Air Pollution) है।
Importance of Pure Air
(शुद्ध वायु का महत्व)
शुद्ध वायु जीवन के लिए अनिवार्य है हम मिलावट युक्त भोजन एवं दूषित जल को थोड़ी देर के लिए त्याग कर सकते हैं।
लेकिन यह जानते हुए भी कि वायु प्रदूषित है हम सांस लेना 1 मिनट के लिए ही बंद नहीं कर सकते।
वायु प्रदूषण से बचाना बहुत आवश्यक है वायु प्रदूषण इसलिए भी बहुत गंभीर है कि 1 दिन में मनुष्य जो भी ग्रहण करता है उसमें वायु की मात्रा 80% है।
मनुष्य 1 दिन में 23000 बार सांस लेता है जिसमें लगभग 16.5 किलोग्राम वायु प्रयोग करता है।शुद्ध वायु मानव स्वास्थ्य के लिए अति आवश्यक है।
वर्तमान समय में वायु प्रदूषण में तेज गति से वृद्धि हो रही है।
वर्तमान वायु प्रदूषण औद्योगिक एवं तकनीकी सभ्यता का परिणाम है
Reasons of Air Pollution
(वायु प्रदूषण के कारण)
वर्तमान वायु प्रदूषण के पीछे निम्नांकित कारण हैं:
Industrial Activities
(औद्योगिक गतिविधियां)
औद्योगिक गतिविधियां: औद्योगिक कार्यकलाप वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा स्रोत है। विश्व का अधिकतर वायु प्रदूषण औद्योगिक गतिविधियों के कारण ही होता है।
विभिन्न उत्पादन प्रक्रियाओं से सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड छोड़ते हैं जो वायुमंडल में जलवाष्प के साथ मिलकर गंधक के तेजाब सल्फ्यूरिक एसिड, नाइट्रिक एसिड में परिवर्तित हो जाते हैं।
जब यह वर्षा के पानी में मिलकर जमीन पर आती हैं तब उसे लोग Acid Rain कहते हैं
इसके अतिरिक्त औद्योगिक गतिविधियों के कारण धूल, व्यर्थ पदार्थों का मिश्रण निष्कासन होता है, इनसे भी वायु प्रदूषण होता है
Combustion actions
(दहन क्रियाएं)
दहन क्रियाएं: कोयला तथा अन्य कार्बन हाइड्रोकार्बन उत्पादों का दहन करके ऊर्जा उत्पन्न की जाती है
कोयला आधारित विद्युत घर एक ऐसा ही उदाहरण है। इससे भारी मात्रा में वायु प्रदूषण होता है।
Automatic vehicle
(स्वचालित वाहन)
स्वचालित वाहन: स्वचालित वाहनों का उपयोग निरंतर बढ़ता जा रहा है कार स्कूटर बस ट्रक आदि वाहन कई हानिकारक गैसों का उत्सर्जन करते हैं
इन गैसों में कैंसर का कारण मानी जाने वाली मोनोऑक्साइड हाइड्रोकार्बन तथा नाइट्रिक ऑक्साइड नाइट्रस ऑक्साइड आगे से भी सम्मिलित हैं
माना जाता है कि दुनिया का 75% कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन स्वचालित वाहनों से ही होता है
Effects of Air Pollution
(वायु प्रदूषण के प्रभाव)
वायु प्रदूषण के कारण अनेक दुष्प्रभाव होते हैं। इससे पेड़ पौधे वनस्पति कृषि उत्पादन पर दुष्प्रभाव पड़ता है।
यहां तक कि वायु प्रदूषण से ताजमहल और ऐसी अनेक इमारतों को क्षति पहुंच रही है।
प्रदूषित वायु के कारण एग्जिमा कैंसर टीवी आदि अनेक बीमारियां फैलती हैं
इसे प्रतिवर्ष लाखों लोगों को जान से हाथ धोना पड़ता है।
भारत की भोपाल गैस दुर्घटना (1984) दिल दहला देने वाली है जिसमें हजारों व्यक्तियों की जान चली गई लाखों लोग आज भी उस गैस रिसाव के दुष्परिणामों को अनेक बीमारियों के रूप में भोग रहे हैं।
Greenhouse Effect
(ग्रीनहाउस प्रभाव)
वर्तमान समय में औद्योगिक क्रियाओं स्वचालित वाहनों तथा औद्योगिक एवं घरेलू कार्यों में कोयले या अन्य ईंधन के उपयोग से पर्यावरण में अनेक प्रकार की गैसें उत्सर्जित हो रही हैं।
परिणाम स्वरूप पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड, मेथेन, नाइट्रस ऑक्साइड तथा क्लोरोफ्लोरोकार्बन आदि गैसों की मात्रा बढ़ रही है यह सभी गैस Radioactive हैं जिन्हें ग्रीन हाउस गैसों के नाम से भी जाना जाता है।
यह गैसें लंबी तरंग वाली अवरक्त क्यों किरणों को absorb सकती हैंइसी कारण ग्रीन हाउस प्रभाव पैदा होता है।
वास्तव में, ग्रीनहाउस से तात्पर्य उस कांच के घर से है जो नाजुक पौधों को उगाने के लिए बनाया जाता है।
इस घर का आंतरिक तापमान इसके बाहरी तापमान से अधिक होता है फिर भी इस के आंतरिक भाग में रेडिएशन होता है इसे भी ग्रीन हाउस प्रभाव कहते हैं।
इस प्रभाव को प्रमाणित करने वाले घटक हैं
1. कांच की दीवारें
2. कार्बन डाइऑक्साइड की अधिक मात्रा तथा
3. ग्रीन हाउस की वायु में जलवाष्प की मात्रा अधिक मात्रा
इस बात को पर्यावरण के संदर्भ में देखा जाए तो ग्रीन हाउस प्रभाव से तात्पर्य पर्यावरण की कुछ गैसों द्वारा ऊर्जा absorb कर तापमान में वृद्धि करने से हैं।
दूसरे शब्दों में, कार्बन डाइऑक्साइड, मेथेन, नाइट्रस ऑक्साइड इत्यादि लंबी तरंगों वाली गैसे जलवाष्प के साथ मिलकर वायुमंडल में एक परत तैयार कर देती हैं। इसके घटकों में वृद्धि होने पर यह परत और मोटी होती चली जाती हैं इससे ग्रीन हाउस के प्रभाव उत्पन्न होने लगते हैं।
सूर्य की किरणें छोटी तरंगों वाली कीड़े होती हैं और यह पृथ्वी पर पहुंचती हैं जब परावर्तन के कारण यह तरंगे वापस ऊपर की ओर चली जाती हैं तो वायुमंडल में विद्यमान गए से उन तरंगों को absorb कर उनका गर्मी धरती की ओर ढकेल देती हैं।
परिणामस्वरूप धरती का तापमान बढ़ता है इस तापमान के कारण हिम ग्लेशियर तेजी से पिघल कर पानी में परिवर्तित होने लगते हैं और यह पानी फिर से जलवाष्प में परिवर्तित हो जाता है बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण यही प्रक्रिया निरंतर चलती है।
इसे ग्रीन हाउस प्रभाव के नाम से भी जाना जाता है।
वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों की अधिकता से दुनिया के पर्यावरण में अनेक घातक परिवर्तन हो रहे हैं। जैसे:
1. Global Warming (भूमंडलीय ताप)
2. Ozone Depletion (ओजोन क्षरण)
3. Acid Rain (अमल वर्षा)
Global Warming
(भूमंडलीय ताप)
ग्रीन हाउस गैसें जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड, मेथेन, क्लोरोफ्लोरोकार्बन आदि प्राकृतिक रूप से वायुमंडल में सदैव ही विद्यमान रहती हैं। यह गैसें सूर्य की गर्मी को absorb करती हैं और उसे पृथ्वी पर आने से रोकती हैं।
इसी प्रकार यह गैसें पृथ्वी की गर्मी को पुनः अंतरिक्ष में जाने से भी रोकती हैं ताकि पृथ्वी का तापमान उचित की सीमा में बना रह सके। पृथ्वी का उचित तापमान मानव जीवन के लिए अनिवार्य आवश्यकता है।
लेकिन पिछले कुछ दशकों में वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों का बहुत उत्सर्जन हुआ है।
इसका प्रमुख कारण तेल और कोयले को बहुत अधिक इस्तेमाल करना है जिसके कारण पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है।
Global Warming बढ़ने से अनेक दुष्परिणाम होने की संभावना है उच्च तापमान के कारण हिम क्षेत्र एवं चादरे पिघलने लगेंगे
फल स्वरूप समुद्र का जल स्तर बढ़ जाएगा।
इसके अलावा जानवरों पेड़-पौधों, वनस्पतियों की कई प्रजातियों के विनाश की पूरी संभावना है।
तापमान में वृद्धि के कारण झीलों एवं समुद्र का पानी भी गरम हो जाएगा जिससे जल प्राणियों का जीवन भी संकट में पड़ जाएगा।
ऐसे दुष्परिणामों को रोकने का एक ही उपाय है ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम से कम किया जाए।
ओजोन वायु मंडल की एक गैस का नाम है जो समुद्र तल से 60 किलोमीटर की ऊंचाई के बीच एक परत के रूप में फैली हुई है।
Ozone Depletion
(ओजोन क्षरण)
ओजोन की परत ओजोन तथा ऑक्सीजन गैसों की रासायनिक क्रिया के कारण बनती है।
ओजोन की परत पृथ्वी के सभी प्राणियों की हानिकारक अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन से रक्षा करती है तथा मानव जाति को चर्म कैंसर, मोतियाबिंद जैसी खतरनाक बीमारियों से बचाती है।
लेकिन पिछले दशकों में ओजोन की परत क्षतिग्रस्त हो गई है और यह क्षति निरंतर बढ़ रही है।
इस क्षति का सबसे बड़ा कारण क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFC) का उपयोग है।
यह गैस रेफ्रिजरेटर तथा AC मशीनों में प्रयुक्त होती है।
ओजोन परत के क्षरण के कारण पृथ्वी पर सूर्य की किरणें और तेज हो गई हैं।
परिणाम स्वरूप पृथ्वी के तापमान में निरंतर वृद्धि हो रही है इससे कृषि, पेड़-पौधे, जलचर यहां तक कि मानव पर भी इसका दुष्प्रभाव हो रहा है।
Air Pollution Control and Prevention
(वायु प्रदूषण नियंत्रण वाह निवारण)
वायु प्रदूषण नियंत्रण वाह निवारण के उपाय:
- कारखानों की स्थापना आबादी से दूर की जानी चाहिए तथा उनकी जमीनों को ऊंचा रखा जाना चाहिए
- वनों को कटने से रोकना चाहिए तथा अधिक से अधिक वृक्षारोपण किया जाना चाहिए
- गोबर कूड़ा करकट तथा मन को आबादी से दूर डाला जाना चाहिए
- वाहनों से उत्पन्न प्रदूषण को रोकने के लिए कानून बनाकर नियंत्रण किया जाना चाहिए
- प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों जैसे साईं किलो के प्रयोग को बढ़ाना चाहिए
- कार्बनिक पदार्थों को विघटन से बचाना चाहिए
- सड़कों व चौराहों पर ट्रैफिक जाम होने से रोकना चाहिए
- मोटर गाड़ियों से निकलने वाले हुए की मात्रा पर नियंत्रण किया जाना चाहिए
- डीजल में बेरियम के कार्बनिक योगिक मिलाए जाने चाहिए ताकि धुआ कम निकले
- पेड़ पौधों को कटने से रोकना चाहिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं एवं वायु को शुद्ध रखने में अहम भूमिका निभाते हैं